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घर की यादें शायरी हिंदी | Ghar Ki Yaadein Shayari Hindi

घर से दूर जाने की शायरी

रात थी और सन्नाटे में शोर था,
तुम रो रहे थे या माजरा कुछ और था.


जिन्दगी जब इंसान को आजमाती है,
तो उसे वो घर से दूर ले जाती है.


खरीद पायें ना सुकून पैसा वो बेकार का,
घर को घर बनाया नहीं इन्सान वो किस काम का.


माँ का आंचल फटा हुआ अच्छा नहीं लगता,
घर किसी का हो बटा हुआ अच्छा नहीं लगता.


Ghar Se Dur Jane Ki Shayari

चल दूर कहीं एक घर बनाते है,
दुनिया से अलग इक दुनिया बसाते है.


जिन्दगी ऐसा भी वक्त लाती है,
घर जाने के लिए भी झूठ बुलवाती है.


फुरसतों की गर्म चादर लपेटे बैठा है,
घर मेरे बचपन की यादें समेटे बैठा है.


अपने ही हाथों अपना घर जला रहे है वो लोग,
लोगों के दिलों में नफरत बढ़ा रहे है जो लोग.


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