Shayari

खुले बालों पर शायरी

जब भी तेरे पास आते हैं,
मुझे तेरे खुले बाल बहुत भाते है.


अगर तेरे खुलें बालों की कोई तारीफ़ न करें,
तो इन खुले बालों का क्या फायदा।


मुझसे इश्क कुछ यूँ निभा देना,
मैं जब अपने बाल खोलू तो तुम मुस्कुरा देना।


मेरे इश्क़ की निशानी
उँगलियों से उनके उतारी न गई,
उन्हें पता था खुले बाल मुझे पसंद है
इसलिए जुल्फें उनसे सवारी न गई.


संवारती है वो उलझे गेसूओं को इतने प्यार से
शायद दर्द को उसने काफी करीब से समझा है.


कुछ लफ्ज़ लिखना तो चाहता हूँ तेरे ख्यालों पर,
लेकिन मैं खुद उलझ गया हूँ, तेरे उलझे हुए बालों पर.


दो इजाज़त हमें तुम्हारे और करीब आने की
तेरे खुले बालों में खो जाने की तमन्ना है.


तेरी खुली बालों के झटकने की अदा पर प्यार आ जाता है,
सोचता हो कि रोज तेरा दीदार करूँ पर इतवार आ जाता है.


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