
Kumbh Mela Shayari Status Quotes Image in Hindi – इस आर्टिकल में कुम्भ मेला शायरी स्टेटस कोट्स इमेज आदि दिए हुए है। इन्हें जरूर पढ़ें।
कुम्भ मेले में आपको आस्था और आध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। कुम्भ मेला इतना बड़ा लगता है कि अगर आप पूरा घूम कर देखना चाहें तो आपको कई दिन लग जाएंगे। यहां ज्यादातर साधू और महात्मा के पंडालों में आपको मुफ्त खाने को मिलेगा। यहां रात्रि निवास करने की सुविधा भी मुफ्त है। कुम्भ मेले में सबसे ज्यादा भीड़ किन्नर पंडाल और नागा पंडाल में होती है।
यहाँ इस मेले में गरीब और अमीर में ज्यादा भेद नही होता है। सभी लोग एक घाट पर एक साथ स्नान करते है। कुछ लोगो को छोड़कर सभी लोग मुफ्त के खान-पान का आनन्द लेते है। जिस दिन विशेष स्नान होता है, उस दिन बहुत ज्यादा भीड़ होती है। गंगा में स्नान करने में कई घंटे का समय लग जाता है।
Kumbh Mela Shayari in Hindi

श्रद्धा भक्ति का रेला है
दुनियाँ में अलबेला है
आओ नगरी प्रयागराज
लगा कुंभ का मेला है ।।
वेदप्रकाश ‘वेदांत’
कुम्भ सी तू पावन तो नहीं
संगम सी मनभावन तो नहीं
फिर क्यूँ तुझपर मैं जान लुटाऊँ
तू ऋतुओं में चंचल सावन तो नहीं।।
वेदप्रकाश ‘वेदांत’
लगा कुम्भ का मेला
भई भक्तन की भीड
दुल्हन जैसी सजी है
देखो गंगा यमुना तीर..।।
वेदप्रकाश ‘वेदांत’
Kumbh Mela Status in Hindi
पूरी दुनिया घूमने का क्या फायदा,
अगर कुम्भ का मेला नहीं देखा।
कुम्भ अध्यात्म और आस्था का संगम है,
जैसे गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है.
Kumbh Mela Quotes in Hindi

गंगा यमुना जी के तीरे
कुम्भ की छटा निराली है
दूर देश से पंक्षी आते
मानव मन में हरियाली है ।
देवों का मन हर्षित होता
सुन महिमा प्रयागराज की
डमरू बजा शिव शम्भू नाचे
नागाओं ने शाही आगाज़ की ।।
वेद प्रकाश ‘वेदांत’
न्यारा है प्रयागराज
पावन इसकी धूल है
कुम्भ में आये यहाँ नहीं
तो जीवन की ये भूल है ।
वेद प्रकाश ‘वेदांत’
कुम्भ नगरी आओ
मनवांछित फल पाओ
मन को पावन करके
पावन डुबकी लगाओ
हरेगी सारी पीड़ा मैया
उर में अमृत घोलेगी
बनों नेक इंसान सभी
बार बार यही बोलेगी ।।
वेद प्रकाश ‘वेदांत’
- संगम शायरी स्टेटस | Sangam Shayari Status Quotes in Hindi
- प्रयागराज शायरी स्टेटस | Prayagraj Shayari Status Quotes in Hindi
कुम्भ मेला शायरी
कुम्भ मेले में आइए
श्रद्धा की डुबकी लगाइए
अबतक ग़र तरे नहीं तो
यहाँ से तर कर जाईये ।।
वेद प्रकाश वेदांत
देवों और राक्षसों में जब भीषण हुई मारामारी
अमृत की इक बूँद से ये धरती हुई पावनकारी
हरिद्वार नासिक उज्जैन और प्रयागराज गवाह बनें
श्रद्धा भक्ति का यह महाकुंभ है मानव मंगलकारी।।
वेद प्रकाश वेदांत
कुम्भ में आना डुबकी लगाना
डुबकी लगाकर खिचड़ी खाना
मत पूछो ये कितना पावन है
दूर देश के पंक्षी का आना
संगम आकर दाना खाना
मत पूछो कितना मनभावन है ।।
वेद प्रकाश वेदांत
कुम्भ शायरी
तुम तो कुम्भ का मेला हो
मैं उस मेले का छोटा ठेला हूँ
तुम्हें चाहती दुनियाँ सारी
मैं दुनियाभर में अकेला हूँ ।।
वेद प्रकाश वेदांत
Kumbh Shayari in Hindi
आओ तो इक बार कुम्भ के मेले में
पड़े हो क्यूँ इस दुनियाँ के झमेले में।
बारह वर्षों में ये पावन अवसर आता
भक्तों का दुख संताप हरकर ले जाता।
क्यूँ बहा रहे हो आँसूँ बैठे कोने में
ये उमर बीत जाएगी यूँ ही रोने में।
मन को पावन कर लो गंगा में नहाकर
सातों जन्म का पाप कटेगा कुंभ में आकर।।
वेद प्रकाश वेदांत
देखो कुम्भ के मेले में साध्वी जयकारे बोल रही हैं
साधू सन्तों की राम कथाएँ कानों में अमृत घोल रही हैं ।
कहीं राम तो कहीं श्याम तो कहीं शिवशम्भू नाच रहे
लाखों सैनिक लगे गश्त पे आतंकी प्रवृत्ति को जांच रहे ।
वेद प्रकाश वेदांत
इसे भी पढ़े –