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वसंत ऋतु शायरी स्टेटस | Vasant Ritu Shayari Status Quotes in Hindi

Vasant Ritu ( Spring ) Shayari Status Quotes Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में वसंत ऋतु ( पतझड़ ) पर शायरी स्टेटस कोट्स इमेज आदि दिए हुए है.

वसंत ऋतु की शुरूआत बसंत पंचमी के दिन से हो जाती है. वसंत ऋतु हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र और बैसाख के महीनों के दौरान आती है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में, वसंत ऋतु फरवरी के मध्य से अप्रैल के मध्य तक माना जाता है. इस ऋतु को ऋतुराज ( King of all the Seasons ) कहा जाता है. वसंत ऋतु में ना थो अधिक ठंड और ना ही अधिक गर्म होती है. मौसम बड़ा ही सुखद और मनोहारी होता है.

वसंत ऋतु में खेत सरसों के फूलों से पीले हो जाते है. फूल खिलने गलती है. आम के पेड़ों में बौर आने लगते है. पतंगबाजी और होली जैसे त्यौहार हृदय को खुशियों से भर देते है.

Vasant Ritu Shayari in Hindi

Vasant Ritu Shayari in Hindi
Vasant Ritu Shayari in Hindi | वसंत ऋतु शायरी इन हिंदी

चहेरे पर मुस्कान है आज,
हुआ ठण्ड-शीत का अंत,
पेड़-पौधे भी खुश हो रहे है
आ गया मनोहर ऋतु वसंत।


बौर आम पर आते है,
मुस्काते है पेड़ों में फूल,
वसंत जब आता है तो
उड़ाता है खुशियों के धूल.


Vasant Ritu Shayari
Vasant Ritu Shayari | वसंत ऋतु शायरी

इस साल का यह बसंत
आपको खुशियां दें अनंत
प्रेम और उत्साह से
भर दें जीवन में रंग।


Vasant Ritu Status in Hindi

दोस्ती पतझड़ भरे जीवन में वसंत के समान है,
जिसके आने से जिंदगी में बहार आ जाती है.


वसंत में जिसे सब अपना कहते है,
पतझड़ में कौन किसका हाल पूछता है.


Vasant Ritu Quotes in Hindi

अच्छा मौसम आये अच्छी बात है,
लेकिन मन का मौसम हरदम वसंत
करके रखना चाहिए।


तुम जब आओगी,
तो आएगा वसंत भी…
तुम्हारे बिना तो ये जीवन
सिर्फ… सर्द घना-सा कोहरा है.


वसंत ऋतु शायरी

वसंत ऋतु शायरी
वसंत ऋतु शायरी

मौसम ने छेड़ा यहाँ फिर वसंती राग,
फूलो का मेला लगा, झूम उठे हैं बाग़,
प्रेम-प्यार बढे, बुझे द्वेष की आग,
वर्ष की है ये दुआ, धुलें क्लेश के दाग.


जिसने तुम्हें बनाया है निश्चित ही
उसने वसंत को भी बनाया होगा,
तुम्हारे छूने से दिल में फूल खिले
और तुम्हारे चले जाने से पतझड़।


वसंत ऋतु स्टेटस

तुम वसंत मेरे दिल का हो,
वरना मिलते ही बाग़ खिलता क्यों?


पतझड़ की रूत इतनी आई जिंदगी में,
कि हम वसंत का स्वागत करना भूल ही गये.


पुष्पित जीवन कुंज में महके सुख मकरंद,
ऋतुएँ आएं कोई भी मन में रहे बसंत।


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