Shayari

खुले बालों पर शायरी

खुली जुल्फें, नशीली आँख, गुलाबी गाल
दिलों को घायल कर देते हैं कातिलाना मुस्कान.
खुले बाल शायरी ( Khule Bal Shayari )


उन्हें बाहों में लूँ और उनकी जुल्फ़े बिखर जाए,
इसके इंतज़ार में कहीं जिंदगी न गुजर जाए.


वक्त को कौन चलने से रोक पायेगा,
जुल्फ़े जो तेरी खुली तो सावन आयेगा।


न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
राजेन्द्र कृष्ण


भीगे बालों में उँगलियों को डालकर मुस्कुराना,
अच्छा नहीं हुस्न पर इतना भी इतराना.
भीगे बाल शायरी


ये नागिन जैसे बाल नहीं करंट का झटका है,
हजारों आशिकों का दिल इसमें अटका हैं.


जब वो अपने हाथों से अपने खुले बाल बाँधें,
तब मैंने अपने दिल लाखों-करोड़ो ख्याल बाँधे।


अपनी खुली बालों को बाँध लिया करो,
वरना बिन मौसम ही बरसात हो जायेगी।


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